इस पाठ के लिए धन्यवाद। स्कैन में दाहिना किनारा कट गया है। क्या स्कैन दुबारा प्रस्तुत करेंगे?
मुझे तो इस विवाद में सन्दर्भ से काट कर वाक्यों को जुमला बना कर उछालने की प्रवृत्ति ही नज़र आ रही है। एक तबका ओवर रिएक्शन कर रहा है। चमक जो बनाए रखनी है। यह वाक्य विचारणीय है: "...औरतें भी वही गलतियाँ कर रही हैं जो पुरुषों ने कीं। देह का विमर्श करने वाली स्त्रियाँ भी आस्था, प्रेम और आकर्षण के खूबसूरत सम्बन्ध को शरीर तक केन्द्रित कर रचनात्मकता की उस सम्भावना को बाधित कर रही हैं जिसके तहत देह से परे भी ऐसा बहुत कुछ घटता है जो हमारे जीवन को अधिक सुन्दर और जीने योग्य बनाता है।"
"...औरतें भी वही गलतियाँ कर रही हैं जो पुरुषों ने कीं। देह का विमर्श करने वाली स्त्रियाँ भी आस्था, प्रेम और आकर्षण के खूबसूरत सम्बन्ध को शरीर तक केन्द्रित कर रचनात्मकता की उस सम्भावना को बाधित कर रही हैं जिसके तहत देह से परे भी ऐसा बहुत कुछ घटता है जो हमारे जीवन को अधिक सुन्दर और जीने योग्य बनाता है।"
ये हुयी न कोई बात ....अब विरोध की भी अपनी एक राजनीति और निहितार्थ होते हैं ...मजमा शुरू है !
इस पाठ के लिए धन्यवाद। स्कैन में दाहिना किनारा कट गया है। क्या स्कैन दुबारा प्रस्तुत करेंगे?
ReplyDeleteमुझे तो इस विवाद में सन्दर्भ से काट कर वाक्यों को जुमला बना कर उछालने की प्रवृत्ति ही नज़र आ रही है। एक तबका ओवर रिएक्शन कर रहा है। चमक जो बनाए रखनी है।
यह वाक्य विचारणीय है:
"...औरतें भी वही गलतियाँ कर रही हैं जो पुरुषों ने कीं। देह का विमर्श करने वाली स्त्रियाँ भी आस्था, प्रेम और आकर्षण के खूबसूरत सम्बन्ध को शरीर तक केन्द्रित कर रचनात्मकता की उस सम्भावना को बाधित कर रही हैं जिसके तहत देह से परे भी ऐसा बहुत कुछ घटता है जो हमारे जीवन को अधिक सुन्दर और जीने योग्य बनाता है।"
"...औरतें भी वही गलतियाँ कर रही हैं जो पुरुषों ने कीं। देह का विमर्श करने वाली स्त्रियाँ भी आस्था, प्रेम और आकर्षण के खूबसूरत सम्बन्ध को शरीर तक केन्द्रित कर रचनात्मकता की उस सम्भावना को बाधित कर रही हैं जिसके तहत देह से परे भी ऐसा बहुत कुछ घटता है जो हमारे जीवन को अधिक सुन्दर और जीने योग्य बनाता है।"
ReplyDeleteये हुयी न कोई बात ....अब विरोध की भी अपनी एक राजनीति और निहितार्थ होते हैं ...मजमा शुरू है !